Monday 28 November 2011

Mahaatmaa kee betee aur siyaasat

वर्त्तमान भारत के राजनीतिक हालातों पर एक ऐसा औपन्यासिक दस्तावेज ,जिसमें है महात्माजी के हिंद-स्वराज की व्यथाकथा तथा  मीरा का मीरा के लिए मीरा द्वारा स्थापित शासनतंत्र की विधि-व्यवस्था का रहस्य -रोमांस और अध्यात्म दर्शन व इतीहास के साथ देश के कतिपय शिखंडी सियासी मसलों का पर्दाफाश ! 

Friday 25 November 2011

Mahaatmaa kee betee aur siyaasat

इस राजसता की अराजकीयता व इस भ्रष्ट अराजक राजनीति की बहुविध विद्रूपताओं से ग्रसित हो इस देश की मीरा भूख-बेकारी ,पलायन- विस्थापन,असुरक्षा- भय, हिंसा- आतंक जैसी विविध अवांछनीयताओं  से जकड़ती हुई इस स्वराज के वनिस्पत पराये अंगरेजी राज को ही समझाने लगी है बेहतर और करने लगी है त्राहिमाम तब सत्याग्रही महात्मा परलोक में भी नहीं रह सके इत्मीनान ,चले आये हिन्दुस्तान ,यही  है इस उपन्यास का कथा-विधान / महात्मा जब इस देश की कडोरों जनता के हैं बापू महान तो  देंखें अपनी बेटी का हाल ,बंधक बनी है मीरा सरेआम ,संकटों से घिरी है आम आदमी की जान,  भ्रष्टाचार का है देश में सर्वोपरी स्थान , मिटती जा रही है  देश की अब गौरवशाली शान ,विदेशी सिकंजे में  जकड़ता जा रहा देश का सता-प्रतिष्ठान,  अपराधी-आतंकी पा रहे हैं -राजसुख- सम्मान, अराजक हो गयी राजनीति ऐसी की  राष्ट्रीयता है बदनाम / ऐसे हेहर- थेथर ,एनीमल- पोलिटिकल थाम लिए हैं शासन की कमान ,जिन्हें कायदे से इस देश के इतिहास- भूगोल- चौहद्दी का भी नहीं है ज्ञान ,राजसता व राजनीति का ऐसा कभी नहीं हुआ था अवसान, सलाखों के भीतर होता डेरा जिनका वे सत्ता   पर हैं विराजमान / उत्तर हो या दक्षिण प्रदेश ,भयभीत सारा देश है- ,मीरा का, मीरा के लिए ,मीरा द्वारा स्थापित शासनतंत्र का अजीब  यह परिवेश है / कश्मीर से कन्याकुमारी ,हर तरफ, हर जगह कैद हैं मीरा के आरमान, मीरा-विरोधी व्यवस्था हो गयी ,विरोधी समस्त राज -फरमान //
................................................................(महात्मा की बेटी और सियासत की पृष्ठभूमि से) 
*महात्मा की बेटी और सियासत*

 (एक राजनीतिक उपन्यास)
उपन्यास की यह एक ऐसी है किताब ,जिसमें पात्र हैं -सोनिया- राहुल- अफ़ज़ल और कसाब, धर्मनिरपेक्षतावादियों को दिया गया है  करारा जवाब ,देश की वर्तमान राजनीति हो गयी है एकदम बेनकाब /